अपने उत्पाद की कीमत कैसे तय करें? How to Price your product?

किसी भी बिजनेस की सफलता में उसके उत्पाद एवं सेवा की कीमत का अहम् योगदान होता है। इसलिए यदि उत्पाद या सेवा की कीमत सही ढंग से तय न हो तो वह बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए किसी भी उद्यमी को अपने उत्पाद या सेवा की कीमत ढंग एवं सही से निर्धारित करनी चाहिए जो उत्पाद या सेवा को बिकवाने में सहायक होगी। और इस तरह से उद्यमी एक समृद्ध बिजनेस की नींव रख पाने में सक्षम होगा। उद्यमी मूल्य निर्धारण की गलत रणनीति का अनुसरण करके अपने बिजनेस को मुश्किल में डाल सकता है।

इसलिए इस क्षेत्र की जानकारी रखने वाले एक प्रसिद्ध विद्वान चार्ल्स टोफोय मूल्य निर्धारण की रणनीति बनाने को सबसे मुश्किल काम मानते हैं क्योंकि उनका मानना है की इसमें कला एवं विज्ञान दोनों का सामजस्य रहता है। यद्यपि बिजनेस में उत्पाद एवं सेवाओं के मूल्य निर्धारण के लिए तरह तरह की रणनीतियाँ विद्यमान हैं।

लेकिन मूल्य तय करने के लिए कोई एक निश्चित फार्मूला, सूत्र आधारित दृष्टिकोण ऐसा नहीं है जो सभी प्रकार के बिजनेस या मार्किट के अनुकूल हो। लेकिन इसके बावजूद इस लेख के माध्यम से आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे कैसे कोई उद्यमी अपने उत्पाद या सेवा की कीमत तय करने के लिए मूल्य रणनीति विकसित कर सकता है।

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1. पैसे कमाने के बारे में स्पष्टता         

अपने उत्पाद या सेवा की कीमत तय करने की प्रक्रिया में सबसे पहले उद्यमी को यह तय करना होगा की वह अपनी मूल्य निर्धारण की रणनीति की बदौलत क्या चाहता है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं की उद्यमी हर उद्यमी अपने बिजनेस से पैसे की कमाई करना चाहता है। और पैसे की कमाई तभी संभव है जब उद्यमी अपने उत्पादों एवं सेवाओं को बेचकर पर्याप्त राजस्व प्राप्त कर पायेगा। ताकि वह न केवल अपनी लागत को कवर कर सके, बल्कि उत्पादों एवं सेवाओं को बेचकर अच्छा लाभ भी प्राप्त कर सके और अपने बिजनेस को बढ़ा पाने में सक्षम हो।

बहुत सारे व्यवसायों का मानना होता है की केवल कीमत अकेले ही उनकी बिक्री बढाने में मददगार होगी जो की गलत है। बिक्री को उद्यमी की बिक्री करने की क्षमता भी प्रभावित करती है जिसके लिए उद्यमी को सही सेल्स मैन एवं सही सेल्स रणनीति की आवश्यकता होती है। ध्यान रहे उद्यमी को एक बात को अच्छी तरह से समझना होगा की विक्रय मूल्य उद्यमी के बेचने की क्षमता का एक कार्य के सिवा कुछ नहीं है।

यही कारण है की आम आदमी दो तीन सौ रूपये में मिलने वाली सामान्य घड़ी एवं लाखों रूपये में बिकने वाली रोलेक्स घड़ी में अंतर समझ नहीं पाता। क्योंकि इन दोनों घड़ियों से मनुष्य देखता तो टाइम ही है लेकिन रोलेक्स की विक्रय क्षमता अच्छी होने के कारण उसके उत्पाद लाखों रूपये में बिकते हैं।

2. अपने ग्राहकों को जानो

मूल्य निर्धारण रणनीति बनाने से पहले ग्राहकों को जानना बेहद जरुरी हो जाता है क्योंकि उद्यमी को अपन्रे ग्राहकों की खर्च करने की क्षमता इत्यादि का पता लगाना आवश्यक है। उद्यमी चाहे तो अपने मौजूदा ग्राहकों से ईमेल इत्यादि के माध्यम से फीडबैक मँगा सकता है। इसके अलावा उद्यमी चाहे तो किसी मार्किट रिसर्च फर्म को ग्राहकों को बहुत बारीकी से समझने के लिए काम दे सकता है।

यदि उद्यमी के पास मार्किट रिसर्च फर्म को इस काम को करवाने के लिए पैसे नहीं है तो वह कम बजट में मार्किट रिसर्च करने के इन तरीकों को अपना सकता है। लेकिन ध्यान रहे जब उद्यमी अपने ग्राहकों को अच्छी तरह से जान पायेगा तभी वह एक सही मूल्य निर्धारण रणनीति बनाने में कामयाब हो पायेगा।

3. अपनी लागत जानें

किसी भी उत्पाद या सेवा का मूल्य निर्धारण करने से पहले उसको उत्पादित करने, ग्राहकों तक पहुँचाने में आने वाली लागत को जानना बेहद जरुरी है। क्योंकि चाहे कोई भी उद्यमी हो वह बिजनेस लाभ कमाने के लिए करता है और किसी भी उत्पाद या सेवा का मूल्य उसकी लागत से कम नहीं होना चाहिए। इसलिए जब उद्यमी को उत्पाद की लागत का पता चलेगा तभी वह मूल्य निर्धारण करने में सक्षम हो पायेगा। उद्यमी को यह भी समझना होगा की लाभ को जारी रखने के लिए वह कम से कम कितने में और कितनी बिक्री की आवश्यकता है।

ध्यान रहे किसी उत्पाद की वास्तविक लागत शाब्दिक लागत से अधिक होती है इसमें ओवरहेड लागत भी शामिल होती है। इस तरह की लागत में किराया, शिपिंग, स्टॉकिंग शुल्क इत्यादि भी शामिल रहता है। इसलिए वास्तविक लागत जानने के लिए उद्यमी को सभी प्रकार की लागतों को इनमें शामिल करना होगा।

4. रेवेन्यु टारगेट जानें

उद्यमी ने अपने बिजनेस से कितना लाभ कमाना है इसके लिए उद्यमी के पास रेवेन्यु टारगेट का होना भी अति आवश्यक है। उद्यमी को रेवेन्यु टारगेट निर्धारित करके, लागत पैदा करने वाले कारकों, मार्केटिंग, सेल्लिंग इत्यादि को ध्यान में रखकर प्रत्येक उत्पाद की कीमत तय करनी चाहिए। यदि उद्यमी के पास केवल एक उत्पाद है तो यह एक सरल प्रक्रिया है। क्योंकि इस प्रक्रिया को अंजाम देते वक्त उद्यमी उत्पाद की उन इकाइयों का अनुमान लगा सकता है जो वह अगले वर्ष बेचने वाला हो।

और फिर अपने रेवेन्यु टारगेट को उत्पाद की उन संख्याओं से विभाजित कर देना चाहिए अब उद्यमी के पास वह मूल्य है जिस पर वह अपने उत्पाद को बेच सकता है। इसके अलावा यदि उद्यमी के पास अनेकों उत्पाद हैं तो उद्यमी को प्रत्येक उत्पाद के लिए कुल राजस्व लक्ष्य आवंटित करना होगा।  उसके बाद जिस उत्पाद को जिस कीमत पर बेचने से वित्तीय लक्ष्य प्राप्त होते हैं उसी कीमत पर पहुँचने के लिए उसकी गणना करनी होगी।

5. प्रतिस्पर्धा को जाने

वर्तमान में प्रत्येक बिजनेस में गहन प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है इसलिए ग्राहक भी प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उत्पाद खरीदना पसंद करते हैं। इसलिए यदि उद्यमी को सही मूल्य निर्धारण करना है तो उसे अपने प्रतिस्पर्धी द्वारा ऑफर किये जा रहे उत्पादों एवं उनकी कीमतों की उचित जानकारी होना अति आवश्यक है ताकि इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर वह अपने उत्पाद के लिए मूल्य निर्धारण रणनीति विकसित कर सकें।

6. बाजार कहाँ को अग्रसित हो रहा है

यद्यपि भविष्य में मार्किट किस ओर रुख करेगी इसका एकदम सही अनुमान तो कोई नहीं लगा सकता लेकिन उद्यमी मार्किट को प्रभावित करने वाले बाहरी कारकों पर नजर रख सकता है। ये प्रभावित करने वाले कारक सामान्य से लेकर, मौसम के लम्बे पैटर्न एवं कानूनों तक कुछ भी हो सकते हैं।

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